
इंदौर, । देश के विभिन्न क्षेत्रों में होने वाली कथाओं में धर्म की जय और अधर्म का नाश होने के उद्घोष तो लगभग सभी कथावाचक कराते हैं लेकिन यह समझ में नहीं आता कि देश के लिए शहीद होने वाले हमारे रणबांकुरों भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु के शौर्य का जयघोष और उनके बलिदान की कथाएँ क्यों नहीं सुनाई जाती। आज हमारी हालत यह है कि धर्म की जय भले ही कितने ही जोर से बोली जाए, न तो एक मच्छर मार सकते हैं और न ही कुत्ते को भगा सकते हैं। देश के क्रांतिकारियों के बलिदानों को हमने भुला दिया है। राम कथा के साथ देश के क्रांतिकारियों की कथा भी सुनाना होगी, तभी सही मायने में हम अपने सनातन धर्म की रक्षा और आतंक एवं अधर्म का नाश करने लायक बन सकेंगे।
ये दिव्य, ओजस्वी और प्रेरक विचार हैं अयोध्या से आए विश्व विख्यात मानस मर्मज्ञ आचार्य शांतनु महाराज के जो उन्होंने बुधवार को दशहरा मैदान स्थित रामायण वाटिका पर छवि सोशल वेलफेयर सोसायटी एवं श्री अग्रवाल समाज इंदौर फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित श्रीराम शौर्य कथा के दूसरे दिन उपस्थित भक्तों के सैलाब को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। प्रारंभ में आयोजन समिति की ओर से प्रख्यात कथा वाचक साध्वी विष्णुप्रिया के साथ गोपाल गोयल, किशोर गोयल, संजय बांकडा, दुर्गेश अग्रवाल, मुकेश बृजवासी, संदीप गोयल, पिंकेश मोदी, रजनीश अग्रवाल, अमित सोनी सहित बड़ी संख्या में शहर के गणमान्य नागरिकों और धार्मिक सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने व्यास पीठ का पूजन किया। कथा स्थल पर गुजरात के कलाकारों द्वारा 1.51 रुद्राक्ष से निर्मित 13 फीट ऊँचे शिवलिंग के जलाभिषेक के लिए भी सुबह से भक्तों की कतारे लगी रही। देर शाम तक 2 हजार से अधिक भक्तों ने शिवजी के जलाभिषेक का पुण्यलाभ उठाया।
कथामृत वर्षा – आचार्य शांतनु महाराज ने शिव-पार्वती प्रसंग की कथा का संदर्भ देते हुए कहा कि पत्नी नौकरानी या दासी नहीं होती, शिव और पार्वती सर्वश्रेष्ठ गृहस्थ हैं। वे एकांत में भी भौतिक पदार्थों की नहीं बल्कि राम के ब्रह्मतत्व की चर्चा करते हैं। राम कथा जगत के कल्याण की कथा है। जब पार्वती ने शिवजी से ब्रह्मतत्व के बारे में पूछा तो भगवान शिव के हृदय में प्रभु श्रीराम के दर्शन हो गए। वे समाधिष्ट हो गए। समाधि कई तरह की होती है। दशहरा मैदान पर बैठे-बैठे भी हम अपने घर के अपने कमरे, अलमारी, गहनों और अन्य चीजों को देख सकते हैं। इसी का नाम समाधि है। संसार में रहकर हम अपने घर और दुकान का काम करते हुए भी हृदय में भगवान की लीलाओं का दर्शन करते रहें तो यह भी समाधि है। गोपियों ने भी इसी तरह सब दूर घूमते हुए भी अपने कान्हा के दर्शन जारी रखे। राम कथा वह गंगा है जो घर-घर पहुंचकर युगों-युगों से हम सबको पवित्र और पावन बना रही है जबकि भागीरथ वाली गंगा के पास हमें खुद जाना पड़ता है। भगवान में कोई भेद नहीं होता। सगुण और निर्गुण को लेकर किसी तरह का भेद नहीं होता चाहिए, यह भगवान शंकर ने भी कहा है। तर्क करने वाले लोग भले ही तर्क करते रहें, भक्त कभी भगवान के स्वरूप को लेकर बहस नहीं करते। सिद्धांत को जब दृष्टान्त मिल जाते हैं तो वह परिपूर्ण हो जाता है। आज देश में जगह-जगह कथाएँ तो खूब हो रही हैं, धर्म की जय और अधर्म के नाश के जयघोष तो खूब हो रहे हैं लेकिन यह सोचने की बात है कि भगवान श्रीराम की कथा के साथ हमने देश के क्रांतिकारियों के बलिदानों को क्यों भुला दिया है। हमारे कथावाचक क्रांतिकारियों की कथाओं को कहने में क्यों संकोच कर रहे हैं। हमारी नई पीढ़ी को यह जानने का अधिकार है, बल्कि हमारा कर्तव्य है कि हम उन्हें अपने वीर क्रांतिकारियों की सत्य घटनाएँ बताएं। केवल जयघोष कर लेने से ही अधर्म का नाश नहीं होगा। हम कितना ही जोर से जयघोष कर लें, हकीकत तो यही है कि हम एक मच्छर भी नहीं मार सकते और एक कुत्ते को भी नहीं भगा सकते, फिर भी अधर्म का नाश करने चले हैं। अधर्म और आतंक का नाश करने के लिए हमें शौर्य और शक्ति को जगाना होगा। देश के युवाओं को बताना होगा कि किस तरह इन तीनों क्रांतिकारियों ने हँसते हुए फांसी के फंदे को चूम लिया।
समूचा कथा परिसर स्वदेशी थीम पर – सम्पूर्ण कथा स्थल पर वनदेवी आयोजना की ओर से स्वदेशी थीम पर आकर्षक सजावट की गई है। मंच पर जूट के कपडे, केले के पत्तों, मांडने और गेरुए तथा अन्य देशी सामग्री से परंपरागत चित्रांकन किया गया है। समूचे कथा स्थल को पोलिथीन मुक्त रखा गया है, हस्तशिल्प के अनेक बेहतर मॉडल भी यहाँ देखने को मिल रहे हैं। कथा समापन पर भक्तों को प्रसाद के साथ एक-एक रुद्राक्ष भी बांटा जा रहा है। यह सिलसिला सातों दिन चलेगा। कथा स्थल पर भक्तों की सुविधा के लिए बैठक व्यवस्था, पेयजल, साफ-सफाई, सुरक्षा, रोशनी, प्राथमिक चिकित्सा, एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड एवं निशुल्क वाहन पार्किंग की व्यवस्था भी अन्नपूर्णा थाने वाले मार्ग पर की गई है। कथा प्रतिदिन दोपहर 3 से शाम 6 बजे तक होगी तथा शिवलिंग का जलाभिषेक सुबह 7.30 बजे से शाम 6 बजे तक प्रतिदिन 8 दिसम्बर तक हो सकेगा।
कथा स्थल पर 15 स्टाल – कथा स्थल पर संस्था सक्षम, विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी, विश्व संवाद केंद्र, संस्कृत भारती, आर्य समाज मंदिर, सेवा भारती, वैभव श्री केंद्र, कामधेनु पंचगव्य उत्पाद, महर्षि दधिची मिशन, गोल्ड कॉइन सेवा ट्रस्ट, बीजबैंक सहित अनेक धार्मिक एवं अध्यात्मिक वस्तुओं के विक्रय के स्टाल भी लगाए है। इनकी साज सज्जा भी स्वदेशी थीम पर की गई है। पूरे परिसर को मिटटी और मांडने से आकर्षक रूप दिया गया है। कथा में आने वाले भक्तों को चन्दन का तिलक भी लगाया गया।
